Mere Jeevan Sathi

MERE JEEVANSATHI

एक स्त्री अपने जीवनसाथी से एक ऐसे जीवन की उम्मीद करती है जो सम्मान से भरपूर हो, स्त्री  à¤•à¥‹ शादी के बाद प्रेम भले ही कम मिले लेकिन अगर सम्मान मे कमी आती है। तो वो टूटने लगती है। शादी के बाद एक स्त्री का पहला सहारा उसका जीवनसाथी होता है। पति-पत्नी का सम्मान एक दूसरे से जुड़ जाता है, जब वें शादी जैसे पवित्र बंधन मे बंधते है तब प्रेम और सम्मान दोनों ही उस डोरी की मजबूती कहलाता है। और जब सम्मान मे कमी होती ही तो सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि रिश्ता भी कहीं न कहीं कमजोर पड़ने लगता है। प्रेम की शुरुआत ही सम्मान से होती है। किसी के प्रति प्रेम, सम्मान से होकर ही गुजरता है। पुरुषों को अक्सर ये कहते सुना होगा की स्त्रियाँ पुरुष के जीवन मे जिम्मेदारी बन कर आती है, लेकिन क्या ये सही बात है की स्त्रियाँ अपने जीवनसाथी पर बोझ या जिम्मेदारी बनकर आती है। इसका जवाब है, नहीं स्त्रियाँ पुरुषों के जीवन मे बोझ या जिम्मेदारी बनकर नहीं आती बल्कि अपने जीवनसाथी की जिम्मेदारी को बांटने के लिए उसके जीवन मे आती है। स्त्री एक पत्नी से लेकर माँ तक और ना जाने कितने किरदारों के साथ अपनी जिम्मेदारी को निभाती है। जैसे ही वो एक पत्नी के किरदार में आती है वैसे ही वो एक जिम्मेदार महिला बन जाती है। वह खुशी-खुशी, अपने और अपने रिश्तों के प्रति अपने जीवन के निर्वाह की एक नई माला सजाती है जिसमे उसकी कुछ उम्मीदों और कुछ ख्वाहिशों को पिरोती है। और उसकी यह माला को सजाए रखने के लिए सारी उम्मीदें अपने जीवनसाथी से रखती है। स्त्री को पुरुष से सिर्फ सम्मान की चाह होती है और वो भी प्रेम से ज्यादा।  

एक स्त्री अपने जीवन साथी के साथ कैसे जीवन की उम्मीद करती है जानते है एक कविता के माध्यम से जिसका शीर्षक है मेरे जीवनसाथी

है सम्मान की चाह मुझे प्रेम से ज्यादा, तुम मुझे सम्मान भरपूर दिया करना।

जब भी मै तुमसे रूठूँ मुझे तोहफे नहीं, मेरे साथ बस कुछ वक्त बिता लिया करना।। 

मेरी गलतियों को बेशक माफ मत करना, पर नाराजगी भी बहुत देर मत रखना।

कभी चुभे हमारा बर्ताव तुम्हें, तो बस शालीनता से बता दिया करना।। 

मै तुम्हारी किसी बात को नकारू, तो दिल पर मत लिया करना।

ना कहने की वजह को तुम पूछ जरूर लिया करना।।

हक बेशक है एक दूसरे पर हम दोनों को, तुम हक से वो हक जता लिया करना।

पर हमारे रिश्ते की भी एक मर्यादा है,तुम उस मर्यादा को कभी पार मत करना।।

मै हमेशा समर्पित रहूँगी हमारे रिश्ते के प्रति, तुम उस समर्पण का भी सम्मान करना।

जो कभी आए दूरियाँ हमारे दरमियाँ, मिल कर उन दूरियों को कम करने का विचार करना।।

है सम्मान की चाह मुझे प्रेम से ज्यादा तुम मुझे सम्मान भरपूर देना।

                                     WRITTEN BY- NEHA SAHU

 

                                  

 

   

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