how to overcome anxiety

चिंता क्या है ? प्रत्येक व्यक्ति के मन में उत्पन्न होता है- अमेरिकी मनोवैज्ञानिक ने रोलों में कहा है चिंता ,विरोधाभास की स्थिति है।

आज भारत में चिंता एक विकराल रूप ले चुका है । प्रत्येक 10 व्यक्ति में से चार या पांच व्यक्ति चिंता से ग्रसित पाए जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति का कुछ ना कुछ उद्देश्य होता है ,उद्देश्य की पूर्ति के लिए थोड़ी बहुत चिंता आवश्यक है, परंतु आकारण बेचैन होना ,घबराहट होना, सांस में तकलीफ होना चिंता के लक्षण है। चिंता एक नकारात्मक संवेग है इसका प्रादुर्भाव द्वंवों से हुआ है। भय, तनाव आदि भावनाओं से जुड़े अनुभवों पर यदि मनन करने लगें, तो शायद हम गिनती ही भूल जाएँ, बोर्ड की परीक्षा के परिणाम की चिंता, रिपोर्ट-कार्ड के प्रति माता-पिता की प्रतिक्रिया, किसी से पहली मुलाकात की घबराहट आदि । चिंता खाने में  नमक के समान थोड़ा-बहुत जरुरी भी है, ताकि हम अनुशासित रहें। समस्या तब जन्म लेती है, जब चिंता, विकार उत्पन्न करने लगे, यहीं पर योग की महती आवश्यकता होती है। आज के वर्तमान परिवेश में चिंता एक विकराल रुप धारण करती जा रही है। इसके असंतुलित होने पर मानव में विकार उत्पन्न होना स्वाभाविक है।  चिंता ग्रस्त होना एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण भी होता है कोई व्यक्ति कठिन समय में बुद्धिमता ढंग से एवं संयम से समस्या का समाधान कर लेता है कुछ व्यक्ति सामान्य परिस्थिति में भी बेचैन एवं चिंता ग्रस्त रहता है। चिंता एक नकारात्मक संवेग के साथ-साथ व्यक्तिगत दृष्टिकोण भी है।

 à¤®à¤¨à¥‹à¤µà¥ˆà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ का कहना है - चिंता एक ऐसी भावनात्मक अवस्था होती है, जो व्यक्ति के अहम को अविलंबित खतरा से सतर्क करती है ताकि व्यक्ति वातावरण के साथ अनुकूल ढंग से व्यवहार कर सकें।

 à¤¸à¤¿à¤—मंड फ्रायड ने चिंता के बारे में बताएं हैं की चिंता तीन प्रकार के होते हैं 

(1)विषय परक चिंता -व्यक्ति का विषय पर चिंता पर्यावरणीय कारणों से संबंधित होते हैं ।

(2)तंत्रिका तापी चिंता -व्यक्ति जब दमित प्रबल इच्छा को रोकने में असमर्थ होता है तो सामाजिक एवं भौतिक परिणामों से भयभीत रहता है अतः व्यक्ति अचेतन संघर्ष से पीड़ित हो तंत्रिका तापी चिंता से ग्रसित हो उठता है।

(3) नैतिक चिंता -फ्राइड के अनुसार व्यक्ति के दमित अनैतिक इच्छाओं के अभिव्यक्ति के दुष्परिणाम से वह ग्रस्त होने से नैतिक चिंता उत्पन्न होता है।

 

चिंता के सामान्य लक्षण:-

• बेवजह परेशान होना,

• घबराहट बेचैनी महसूस करना,

• स्वास लेने में तकलीफ होना,

• अपनी बातों को रखने में झिझकना,

• सामाजिक होने में झिझकना,

• अनावश्यक बातों को सोचना,

.निराशावादी होना,

• स्वयं को तकलीफ देना,

• अतीत में रहना,

• अति अंर्तमुखी होना,

• अचानक पसीना आना,

• नींद न आना,

• चलने में असमर्थता महसूस करना ( हाथ-पैर में कम्पन होना),

• अनिष्टता के भय से ग्रसित होना,

• सामान्य बातों पर भी उत्तेजित हो जाना।

चिंता के कारण:-

चिंता एक भयावह विकार है, जिससे व्यक्ति का सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। अतिषय भयावह प्रभाव पड़ता है। मूलतः चिंता व्यक्ति के आंतरिक तथा वाह्य वातावरण से उत्पन्न होते हैं। चिंता के कारण कुछ इस प्रकार हैं:-

वाह्य कारण:-वाह्य कारण के मुख्य स्रोत हैं- गरीबी, भूखमरी, प्राकृतिक आपदा, हृदय विदारक दुर्घटना, अपार हानि आदि ।

 à¤†à¤‚तरिक कारण:- दमित इच्छाएँ, भय, घृणा, अहंकार, वेदना, क्रोध, निर्बलता,भावना से ग्रसित इत्यादि । 

चिंता से बचने के उपाय 

भोजन- सर्वप्रथम व्यक्ति को अपने भोजन पर ध्यान देना चाहिए तामसी प्रवृत्ति एवं गरिष्ठ भोजन से दूरी बनाते हुए सात्विक भोजन  करना चाहिए जिससे हमारे अंदर सतोगुण की प्रवृत्ति विकसित होगी ।

 

योगिक उपाय -

*आसन

  • पश्चिमोत्तानासन-
  • उत्तानासन -
  • भुजंगासन-
  • मर्जरी आसन
  • सुखासन
  • बालासन
  • शवासन

* प्राणायाम 

  • अनुलोम विलोम प्राणायाम -
  • नाड़ी शोधन प्राणायाम -
  • कुंभक क्रिया -
  • भ्रामरी प्राणायाम-
  • उद्गीथ प्राणायाम-

 à¤šà¤¿à¤‚ता से बचने एवं कम करने के लिए योग एवं प्राणायाम सरल एवं सहज मार्ग प्रशस्त करता है 

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