मंजिल
à¤à¤• नई सोच , नया जोश
उमड़ता है मेरे मन में,
जब à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ को,
देखती हूं कंकड़ का ठेला खींचते हà¥à¤à¥¤
बरबस यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ कौंधता है,
कà¥à¤¯à¤¾ खींच रहा है ये?
अपनी जिंदगी ,अपना बचपन!!
बड़ी हिमà¥à¤®à¤¤ और ताकत से ,बहà¥à¤¤ जलà¥à¤¦à¥¤
हर कदम है उसके अडिग ,आगे बढ़ते हà¥à¤
और बचपना पीछे छोड़ते हà¥à¤à¥¤
उस अबोध ने अपनी मंजिल
शाम तक खनकते पैसे का पाना ही समठरखा है।
फिर à¤à¤• नई सोच, नई चाह
उमड़ता है मेरे मन में,
जब देखती हूं उसे अपने मंजिल तक पहà¥à¤‚चते हà¥à¤
मà¥à¤Ÿà¥à¤ ी में à¤à¤°à¥‡ चंद सिकà¥à¤•à¥‹à¤‚ की खनक से
सà¥à¤•à¥‚न की सांसे लेते हà¥à¤à¥¤
à¤à¤• नई सोच, नया बदलाव की चाह,
उमड़ता है मेरे मन में
कि मेरी मंजिल अब à¤à¥€ मà¥à¤à¤¸à¥‡ दूर है।
कà¥à¤› देर पहले,
मैं अपने हाथों में कागज की डिगà¥à¤°à¥€ लिà¤
मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾ कर सà¥à¤•à¥‚न की सांसें ले रही थी।
लेकिन फिर à¤à¤• नई सोच, नया जोश उमड़ता है,
मेरे मन में…
और चल पड़ती हूं करà¥à¤® पथ पर
बदलाव दृढ़ वादों के संग
à¤à¤• नई सोच , नया जोश उमड़ता है मेरे मन में…।।